The Basic Principles Of hindi kahani for kids
The Basic Principles Of hindi kahani for kids
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hindi kahani
हिन्दी कहानी के उद्भव व विकास पर प्रकाश डाला गया है। आधुनिक हिन्दी कहानी के
कहानियाँ हैं। इनके सभी कहानियाँ पनघट, सुदर्शन सुधा, तीर्थ यात्रा आदि कहानी-संग्रहों में संग्रहित है।
शांति ने ऊबकर काग़ज़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उठकर अनमनी-सी कमरे में घूमने लगी। उसका मन स्वस्थ नहीं था, लिखते-लिखते उसका ध्यान बँट जाता था। केवल चार पंक्तियाँ वह लिखना चाहती थी; पर वह जो कुछ लिखना चाहती थी, उससे लिखा न जाता था। भावावेश में कुछ-का-कुछ उपेन्द्रनाथ अश्क
इस कथा साहित्य के माध्यम से प्रेमचन्द जी ने स्पष्ट किया था कि हमारे सामाजिक
प्रमुख कहानियाँ हैं - चरणों की दासी, रोगी, परित्यक्ता, जारज, अनाश्रित, होली, धन का - अभिशाप, प्रतिव्रता या पिशाची, एकाकी, मैं,
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश
से अनके शिक्षाएँ तथा उद्धेश्य प्राप्त होते थे। इन कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता
की विसंगतियों का मार्मिक चित्रण मिलता है। साथ ही निम्नवर्गीय शोषितों की व्यथा, अभाव और जीवन
युग पुरूष ने अपनी कहानियों को विविध शैलियों के माध्यम से साहित्य संसार को सौंपा, इसलिए कहानी
के चितेरे के रूप में जिन अन्य कहानीकारों ने हिन्दी कहानी संसार में प्रवेश किया
के दर्शन होते हैं। श्री काशिक ने अपने जीवनकाल में तीन सौ कहानियाँ लिखी हैं, 'मणिमाला', 'चित्रशाला', कल्लौल, कला-मन्दिर, इनके प्रसिद्ध
विशेष रूप से व्यक्त हुई है। इन कहानिकारों में, जैनेन्द्र, इलाचन्द्र जोशी, अज्ञेय, भगवती चरण वर्मा, चन्द्र गुप्त विद्यालंकार, आदि कहानीकार
काव्यात्मक है। यही नहीं इनकी कहानियों में नाट्य शैली के भी दर्शन होते हैं, इनकी कहानियों
किसी श्रीमान ज़मींदार के महल के पास एक ग़रीब अनाथ विधवा की झोंपड़ी थी। ज़मींदार साहब को अपने महल का अहाता उस झोंपड़ी तक बढ़ाने की इच्छा हुई, विधवा से बहुतेरा कहा कि अपनी झोंपड़ी हटा ले, पर वह तो कई ज़माने से वहीं बसी थी; उसका प्रिय पति और इकलौता पुत्र माधवराव सप्रे